
FB 2656 - My day yesterday .. in my poetic representation :
कार्यरत रहे दिनभर , मिले बहु संख्यित लोग
कुछ विचार विमर्श किए , कुछ माँगे बहु सहयोग
छूट पड़े वहाँ से जब तब गए परिवार के संग
मित्र की वर्षगाँठ पर , मनाने गए हुड़-दंग
मुलाक़ात बिछड़े मित्रों से हुई वहाँ पर तब
हाल चाल पूछें हमसे फिर, बहु मधु ढालके सब
कितना ही हम हाल बताएँ , कितनी ही बताएँ चाल
फिर भी पलट के हमसे पूँछें , हाल चाल और ढाल ।
प्रातः काम बहुत है हमको , कह के वहाँ से खिसके
पत्नी बेटी समझ गयीं , और विदा लिए हम उनसे
शांत स्वभाव से घर के बुद्धू घर को वापस आए
कुछ भोज किया , कुछ स्मरण किया , गुदड़ी को सर पे लाए ।
कूक गगन की सुनकर अँखियाँ , खोल के हम हैं जागे ,
‘अरे Blog लिखना तो भूल गए’, लैप्टॉप की ओर फिर भागे
लिखने से पहले ध्यान गया बाबूजी की आत्मकथा पर ,
इक पन्ना अचानक खुल गया , और जो पढ़ा वो लिखा यहाँ पर 👇🏿 ….. !!!
“किसी भी बात को सबसे अधिक महत्वपूर्ण तरीक़े से कहने की कला का नाम कविता है “ ~ Harivansh Rai Bachchan
FB 2656 - My day yesterday .. in my poetic representation : कार्यरत रहे दिनभर , मिले बहु संख्यित लोग कुछ विचार विमर्श किए , कुछ माँगे बहु सहयोग छूट पड़े वहाँ से जब तब गए परिवार के संग मित्र की वर्षगाँठ पर , मनाने गए हुड़-दंग मुलाक़ात बिछड़े मित्रों से हुई वहाँ पर तब हाल चाल पूछें हमसे फिर, बहु मधु ढालके सब कितना ही हम हाल बताएँ , कितनी ही बताएँ चाल फिर भी पलट के हमसे पूँछें , हाल चाल और ढाल । प्रातः काम बहुत है हमको , कह के वहाँ से खिसके पत्नी बेटी समझ गयीं , और विदा लिए हम उनसे शांत स्वभाव से घर के बुद्धू घर को वापस आए कुछ भोज किया , कुछ स्मरण किया , गुदड़ी को सर पे लाए । कूक गगन की सुनकर अँखियाँ , खोल के हम हैं जागे , ‘अरे Blog लिखना तो भूल गए’, लैप्टॉप की ओर फिर भागे लिखने से पहले ध्यान गया बाबूजी की आत्मकथा पर , इक पन्ना अचानक खुल गया , और जो पढ़ा वो लिखा यहाँ पर 👇🏿 ….. !!! “किसी भी बात को सबसे अधिक महत्वपूर्ण तरीक़े से कहने की कला का नाम कविता है “ ~ Harivansh Rai Bachchan