FB 2359 - ' हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली। कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली। सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ। वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।....' ~ Ef SA 🙏 May 09, 2019 9867