
FB 2343 - राष्ट्रकवि राम धारी सिंह 'दिनकर 'की रचना
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय-गान सुनाया जायेगा...
नव संवत्सर (२०७६) ६ अप्रैल २०१९ की अग्रिम बधाई
॥ वन्दे मातरम॥
FB 2343 - राष्ट्रकवि राम धारी सिंह 'दिनकर 'की रचना ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप धर जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी, तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय-गान सुनाया जायेगा... नव संवत्सर (२०७६) ६ अप्रैल २०१९ की अग्रिम बधाई ॥ वन्दे मातरम॥
Apr 06, 2019